आयु में अपने से दो वर्ष बड़ी पड़ोस में रहने वाली अंकिता को जब उसके कॉलेज में साथ पढ़ने वाला विक्रम बोलता है "आप गुलाबी साड़ी में बहुत खूबसूरत लग रही हो" तो उसकी यह बात सुनकर सिद्धार्थ यह समझ नहीं पा रहा था कि मुझे विक्रम की यह बात सुनकर विक्रम पर इतना गुस्सा क्यों आ रहा है, कहीं मुझे अंकिता से प्रेम तो नहीं हो गया है, इसलिए सिद्धार्थ अंकिता के जन्मदिन की पार्टी बीच में ही छोड़कर अपने घर वापस आ जाता है।
क्योंकि उसे वह दिन आज भी याद था कि जब वह स्कूल से घर आया था तो उसके घर के आगे आस पड़ोस के लोगों रिश्तेदारों की भीड़ लगी हुई थी और पुलिस वाले उसके बड़े भाई नंदू की लाश को एंबुलेंस से लेकर जा रहे थे, उस समय सिद्धार्थ की आयु 15 वर्ष थी। सिद्धार्थ अपने भाई नंदू और बहन मंजू से छोटा था।
उसके भाई नंदू ने जिस लड़की के प्रेम में दीवाना होकर आत्महत्या की थी, वह अंकिता की बड़ी बहन सीमा थी।
अपने बड़े भाई नंदू की मौत का दर्दनाक दहशत से भरा हुआ दिन सिद्धार्थ के लिए भूलना असंभव था, उस दिन उसकी मां उसके बड़े भाई नंदू की मौत के दूख में रोते रोते होश में आने के बाद बार-बार बेहोश हो रही थी और उसके पिता पत्थर की शिला जैसे कुर्सी पर चुपचाप शांत बैठे हुए थे और बहन को पड़ोस की महिलाएं अंकिता अंकिता की मां रोने से चुप करवा रही थी।
इस वजह से सिद्धार्थ दुनिया की किसी भी लड़की से प्रेम नहीं करना चाहता था और उसने अपने बड़े भाई नंदू को आत्महत्या करने से एक दिन पहले रात को देखा था कि उसका बड़ा भाई नंदू कैसे अंकिता की बहन सीमा के पैर पड़कर उससे प्यार की भीख मांग रहा था, और किस तरह से सीमा उसके भाई के प्यार को ठुकरा कर चली गई थी और फिर अंकिता की बहन सीमा ने उसके बड़े भाई नंदू की मौत के दो महीने के अंदर ही कॉलेज में साथ पढ़ने वाले अमीर लड़के विशाल से प्रेम विवाह कर लिया था।
सिद्धार्थ को यह है भी पता था कि अगर उसे अंकिता से प्रेम हो गया तो अंकिता उसके प्रेम को अपनाएगी नहीं, क्योंकि वह एक तो अंकिता से आयु में दो वर्ष छोटा है और उसके नंदू भैया की वजह से उसके परिवार की बहुत बदनामी हुई थी। इस वजह से उसके माता-पिता उनके परिवार से कभी भी संबंध जोड़ना नहीं चाहेंगे।
लेकिन जब अंकिता सुबह-सुबह अपने कॉलेज जाने से पहले सिद्धार्थ के घर जाकर सिद्धार्थ से कहती है "कॉलेज की छुट्टी होने के बाद मुझे कॉलेज के गेट पर मिल जाना आज दिवाली की शॉपिंग करने मार्केट साथ चलेंगे, सिद्धार्थ का कॉलेज अंकिता के कॉलेज के पास ही था, तब सिद्धार्थ ना चाहते हुए भी अंकिता को हां कर देता है।
और अंकिता के कॉलेज की छुट्टी होने से पहले ही अंकिता के कॉलेज के गेट के पास खड़ा हो जाता है, लेकिन जब अंकिता सिद्धार्थ को यह कहकर कि "संडे को दिवाली की शॉपिंग करने साथ चलेंगे आज मैं विक्रम के साथ उसकी बहन से मिलने जा रही हूं।" विक्रम के साथ चली जाती है, तो उस समय सिद्धार्थ को अंकिता पर बहुत गुस्सा आता है, क्योंकि उसे पता था कि विक्रम की एक ही बहन है और वह भी शादी के बाद विदेश में रहती है।
उस समय अंकिता उसे अपनी दोस्त नहीं अपनी जान की दुश्मन नजर आती है और वह उस समय अच्छी तरह समझ जाता है कि अंकिता से नजदीकियां उसके जीवन और उसके परिवार को बर्बाद कर देगी, क्योंकि मैं अंकिता के प्रेम जाल में फसता जा रहा हूं और शायद अंकिता विक्रम से प्रेम करती है।
लेकिन जब अंकिता शाम को उसकी बड़ी बहन मंजू से मिलने उसके घर आती है, तो सिद्धार्थ अंकिता से बात करने से अपने को रोक नहीं पता और खुद ही अंकिता से कहता है "संडे को दिवाली की शॉपिंग करने साथ चलोगी ना।"
और उसी रात सोने से पहले अपने मन में फिर फैसला लेता है कि "चाहे कुछ भी हो मैं संडे को अंकिता के साथ दिवाली की शॉपिंग करने नहीं जाऊंगा।" लेकिन सिद्धार्थ को यह भी महसूस हो रहा था कि अंकिता से दूरियां बढ़ाना मुश्किल का काम है।
और जब शनिवार की शाम उसके पिता ऑफिस से आकर सिद्धार्थ और उसकी मां से कहते हैं "कल मंजू को देखने लड़के वाले आ रहे हैं, लड़का सरकारी बैंक में उच्च पद पर नियुक्त है और खानदान भी बहुत अच्छा है, इसलिए मैं तुम दोनों मां बेटे को समझा रहा हूं, उनकी खातिरदारी इज्जत में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए।"
अपनी बड़ी बहन मंजू के लिए अच्छे लड़के का रिश्ता आने से सिद्धार्थ खुश था और साथ-साथ वह इस बात से भी बहुत खुश था कि अब उसे संडे को अंकिता के साथ दिवाली की शॉपिंग करने नहीं जाना पड़ेगा।
और कुछ देर बाद जब अंकिता सिद्धार्थ को फोन करके कहती है कि "कल करवा चौथ है, मां कह रही है कल घर पर ही रहना और अभी दिवाली आने में भी समय है, इसलिए हम किसी और दिन दिवाली की शॉपिंग करने साथ चलेंगे।" तो सिद्धार्थ को खुशी होने की जगह बुरा लगता है कि "अंकिता के साथ अकेले बाजार घूमने का मौका हाथ से निकल गया।
और जब अंकिता को पता चलता है कि उसकी सबसे अच्छी सहेली सिद्धार्थ की बहन मंजू को लड़के वाले देखने आ रहे हैं, तो वह भी सिद्धार्थ के घर आकर सिद्धार्थ की मां के साथ लड़के वालों की खातिरदारी की तैयारी में जुट जाती है और अपने हाथों से मूंग दाल की कचोरी समोसे रबड़ी आदि पकवान पकाती है और मंजू को सजने सवरने में बहुत मदद करती है।
मंजू को देखने आने वाले मेहमानों के जाने के बाद अंकिता आसपास की सभी सुहागन महिलाओं को करवा चौथ की व्रत कथा पढ़कर सुनाती है और जब रात को करवा चौथ का व्रत रखकर सारी महिलाएं सजती संवरती हैं तो अंकित भी सुहागनों जैसे सज संवरकर जब सिद्धार्थ का हाथ पकड़ कर उसे चंद्रमा निकला या नहीं देखने के लिए उसके घर की छत पर लेकर जाती है, तो खूबसूरत अंकिता को देखकर सिद्धार्थ अपने होशो हवास खो देता है।
इसलिए सिद्धार्थ करवा चौथ की उस खूबसूरत रात अपने प्यार का इजहार अंकिता के सामने करने का अपने मन में यह पक्का फैसला कर लेता है कि "अगर अंकिता ने अपनी बहन सीमा जैसे मेरे प्यार को ठुकराया तो भी मैं अपने नंदू भैया जैसे आत्महत्या कर लूंगा।"
शर्मीले सीधे-साधे सिद्धार्थ का यह फैसला बिल्कुल भी सही नहीं था, क्योंकि खूबसूरत चंचल अंकिता के के मन में उसके लिए क्या है, थोड़ा सा भी महसूस किए बिना उसने अपने जीवन को खत्म करने का फैसला ले लिया था।